माइग्रेन एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जिसमें व्यक्ति को बार बार सिरदर्द होता है। इसमें सिर मै दर्द सिर्फ एक ही जगह होता है और साथ मै उल्टी , चक्कर , प्रकाश – ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता जैसी समस्या होती है। अगर सही इलाज न किया तो यह शारीरिक , मानसिक और सामाजिक समस्या का कारण बन सकता है।
माइग्रेन किस विटामिन की कमी से होता है यह सवाल आज बहुत आम हो गया है, क्योंकि बदलती जीवनशैली और खराब खानपान के चलते शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना सामान्य हो गया है। खासतौर पर विटामिन B2 (राइबोफ्लेविन), विटामिन D और मैग्नीशियम की कमी माइग्रेन को जन्म दे सकती है। विटामिन B2 की कमी मस्तिष्क की ऊर्जा प्रक्रिया को बाधित करती है, जिससे बार-बार सिरदर्द हो सकता है। वहीं, विटामिन D की कमी से शरीर में सूजन और न्यूरोलॉजिकल असंतुलन बढ़ता है, जो माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है। मैग्नीशियम की कमी नसों की क्रियाशीलता को प्रभावित करती है और यह भी माइग्रेन के पीछे एक बड़ा कारण हो सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने आहार में इन आवश्यक विटामिन्स को शामिल करें और जानें कि वास्तव में माइग्रेन किस विटामिन की कमी से होता है।
माइग्रेन के कई कारण हो सकते, माइग्रेन किस विटामिन की कमी से होता है यह भी एक कारण है। कुछ करण माइग्रेन के –
• मानसिक तनाव और चिंता, अधिक चिंता,क्रोध या तनाव से बढ़ सकता है।
नीद की कमी से या अधिक नीद से।
• अनियमित दिनचर्या
• अधिक स्क्रीन टाइम से
• माइग्रेन किस विटामिन की कमी से भी होता है ।माइग्रेन किस विटामिन की कमी से होता है – माइग्रेन विटामिन B2, विटामिन D, विटामिन B12, मैग्नेशियम, विटामिन B9 कमी से होता है।
माइग्रेन के लक्षण –
• सिर के एक तरफ़ तेज़, धड़कता हुआ दर्द।
• मतली या उल्टी।
• रोशनी और आवाज़ के प्रति संवेदनशीलता
• धुंधली दृष्टि।
• चक्कर आना।
• कमजोरी और थकावट।
माइग्रेन से क्या खतरा है –
• मानसिक स्वास्थ पर प्रभाव – माइग्रेन से क्या खतरा है उसमें सबसे ज्यादा मानसिक रोग होता है जैसे डिप्रेशन,एंजाइटी, नीद की समस्या आदि।
• हृदय रोग – माइग्रेन से क्या खतरा है उसमें हृदय रोग जासे हार्ट अटैक या Arrhythmia भी हो सकता है।
• स्ट्रोक – जिन्हें क्रोनिक माइग्रेन है उन्हें स्ट्रोक का खतरा भी हो सकता।
• याददाश्त और एकाग्रता कम होजाती है माइग्रेन से।
ऊपर दिए गए रोग बताते है कि माइग्रेन से क्या खतरा है।
माइग्रेन का आयुर्वेदिक इलाज किया है
आयुर्वेद के अनुसार माइग्रेन को अर्धवभेदक कहा जाता है। अर्ध यानी आधा और अवभेदक यानि छेदने वाला दर्द। यह वाता और पित्त दोषों के असंतुलन के कारण हो सकता है।माइग्रेन के आयुर्वेदिक इलाज किया है ? माइग्रेन को औषधि , पंचकर्म, आहार और दिनचर्या से संतुलित कर सकते ।
माइग्रेन से छुटकारा के उपाय –
1. पंचकर्म – माइग्रेन का आयुर्वेदिक इलाज किया है उसमें सबसे पहले पंचकर्म आता है । जैसे –
नस्य (Nasya): इसमें औषधीय तेलों या रसों को नाक के द्वारा डाला जाता है। यह मस्तिष्क की नसों को शांत करता है और सिरदर्द में राहत देता है। नस्य के लिए Anu Taila, Shadbindu Taila आदि का उपयोग किया जाता है।
शिरोधारा: गर्म तेल या औषधीय काढ़े को एक धार में माथे पर डाला जाता है। इससे मस्तिष्क शांत होता है और तनाव कम होता है।
बस्ती (आयुर्वेदिक एनीमा): यह विशेष रूप से वात दोष को संतुलित करने के लिए किया जाता है।
२.माइग्रेन से छुटकारा पाने की औषधि –
माइग्रेन का आयुर्वेदिक इलाज किया है उसमें ऊपर दी गई औषधि शामिल है।
३.आहार और जीवनशैली मै बदलाव से भी माइग्रेन से छुटकारा मिल सकता जैसे –
क्या करें (Do’s)–
• नियमित और हल्का भोजन करें।
• गर्म पानी पिएं।
• प्रतिदिन योग और प्राणायाम करें – विशेषकर अनुलोम-विलोम, शीतली, और भ्रामरी।
• समय पर सोएं और जागें।
• दिन में थोड़ा विश्राम करें।
क्या न करें (Don’ts):
• बहुत ज़्यादा तीखा, खट्टा, और तला हुआ खाना न खाएं
• अत्यधिक धूप, तेज़ आवाज़ और स्क्रीन टाइम से बचें।
• भूखा न रहें, उपवास से माइग्रेन और बढ़ सकता है।
• देर रात तक जागना भी माइग्रेन को बढ़ा सकते।
आयुर्वेद न केवल मायग्रेन के लक्षण को कम करता बल्कि उसके कारण को भी खत्म करता। माइग्रेन से छुटकारा पाने के लिए सही आयुर्वेदिक इलाज करिए जिससे माइग्रेन से क्या खतरा है वो ही न रहे। माइग्रेन किस विटामिन की कमाई से होता है टेस्ट करिए और उस विटामिन का इलाज करिए। सही इलाज और सही दिनचर्य अपनाए जिससे माइग्रेन से छुटकारा मिले।